- डॉ. पेरिसेट्टि श्रीनिवास राव ‘अनामदास का पोथा’ द्विवेदी जी की आखिरी रचना है, मगर इसका कथानक उनकी सारी रचनाओं के कथानकों से पुराना है। यानी, द्विवेदी जी क्रमशः पुराने (मूल) की ओर लखते चलते हैं। यद्यपि इसका कथानक छान्दोग्य पुराण का है, मगर ये ऋग्वेद काल तक को लखता है। यहाँ औरत के तीन रूप हमारे सामने आते हैं - माँ, बहन और प्रिया (जिया, जञ के ञ काय हो गया)। जिया की प्राप्ति माँ और बहन की प्राप्ति के बिना मुमकिन नहीं। माँ और बहन का जान-मान ही उसे जिया के जान-मान के लायक बनाता है। यानी, जो क्रमशः मन से जन और जन से जनक में रूपान्तरित होता है। ये ही है ‘रैक्व आख्यान’। नारी तत्व क्या है? द्विवेदी जी के अनुसार तो नारी निषेधरूपा होती है। तात्पर्य यह है कि ‘‘जहाँ कहीं अपने आपको उत्सर्ग करने की, अपने-आपको खपा देने की भावना प्रधान है, वहीं नारी है। जहाँ कहीं दुःख-सुख की लाख-लाख धाराओं में अपने को दलित द्राक्षा के समान निचोड़ कर दूसरे को तृप्त करने की भावना प्रबल है, वहीं ‘नारी-तत्व’ है, या षास्त्रीय भाशा में कहना हो तो ‘षक्ति-तत्व’ है।’’ स्पश्ट है कि निशेध से मतलब आत्मनिशेध से है, यानी दूसरो
రెక్కలు ఇవ్వగలవా నాకు...? హిందీ : ప్రొఫెసర్ .రిషభ్ దేవ్ శర్మ . తెలుగు : డా.పేరిశెట్టి శ్రీనివాసరావు. పొత్తాలు అడిగాను నేను పొయ్యి దొరికింది నాకు స్నేహితుడ్ని కోరాను నేను వరుడు దొరికాడు నాకు కలల్ని కోరాను నేను కష్టాలు వరించాయి నన్ను బంధాలు కోరాను నేను బంధనాలు దొరికాయి నాకు నిన్న భూమిని అడిగాను నేడు సమాధి దొరికింది నాకు ఆకాశాన్ని అడుగుతున్నాను నేను రెక్కలు ఇవ్వగలవా నాకు...? డా . పే రిశెట్టి శ్రీనివాసరావు. లెక్చరర్, పి.జి.విభాగము దక్షిణ భారత హిందీ ప్రచార సభ చిత్తూరు రోడ్ ,ఎర్నాకుళం (కేరళ) సెల్ : 9989 242 343 ఈ -మెయిల్ : srperisetti@gmail.com srperisetti@yahoo.com
हैदराबाद, 24.04.2011 (प्रेस विज्ञप्ति)। दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा द्वारा संचालित दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के क्षेत्रीय कार्यालय के तत्वावधान में आज यहाँ एम.ए. हिंदी और स्नातकोत्तर अनुवाद डिप्लोमा के दूरस्थ माध्यम के अध्ययनकर्ताओं के लिए सातदिवसीय संपर्क कार्यक्रम-सह-व्याख्यानमाला का उद्घाटन समारोह सभा के खैरताबाद स्थित परिसर में आयोजित किया गया। दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के सहायक निदेशक डॉ. पी. श्रीनिवास राव ने यह जानकारी दी कि इस कार्यक्रम में विभिन्न विषय विशेषज्ञ आंध्र प्रदेश के अलग-अलग अंचलों से आए हुए छात्रों की अध्ययन संबंधी कठिनाइयों का समाधान करेंगे। उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता उच्च शिक्षा और शोध संस्थान के प्रो. ऋषभदेव शर्मा ने की तथा संपर्क अधिकारी एस.के. हलेमनी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। विषय विशेषज्ञों के तौर पर डॉ. मृत्युंजय सिंह, डॉ. गोरखनाथ तिवारी, डॉ. बलविंदर कौर, डॉ. जी. नीरजा, डॉ. पूर्णिमा शर्मा, डॉ. साहिराबानू बी. बोरगल, डॉ. लक्ष्मीकांतम और डॉ. शशांक शुक्ल इस शैक्षणिक कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं तथा छात्रगण रंगारेड्डी, वरंगल, प्रकाशम, कृष्णा आदि अंचलो
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