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Showing posts from January, 2011
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विजयवाडा में दूरस्थ षिक्षा का संपर्क कार्यक्रम आयोजित विजयवाडा, 08.01.2011 (प्रेस विज्ञप्ति) दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा द्वारा संचालित दूरस्थ षिक्षा निदेषालय के अंतर्गत एम.ए. हिन्दी पाठ्यक्रम के आन्ध्रप्रदेष के अध्येताओं के निमित्त व्याख्यानमाला सह संपर्क कार्यक्रम  का उद्घाटन आज यहाँ वरिष्ठ हिन्दी सेवी श्री काज वेंकटेष्वर राव ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में पधारे काजाजी ने इस अवसर पर कहा कि दूरस्थ माध्यम का प्रयोग करके दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा, हिन्दी की उच्च स्तरीय षिक्षा को घर-घर पहुँचाने का जो कार्य कर रही है वह गाँधीजी के हिन्दी प्रचार आंदोलन का ही आधुनिक विस्तार है। सहायक निदेषक डॉ. पेरिषेट्टि श्रीनिवासराव ने संपर्क कार्यक्रम की उपादेयता पर प्रकाष डालते हुए सभा के नवीनतम दूरस्थ माध्यम के पाठ्यक्रमों एम.ए. एजुकेषन, एम.फिल., पीएचडी एजुकेषन, एम.बी.ए. (ई.एम.), बी.काम., बी.बी.ए., बी.सी.ए., पीजीडीसीए, डी.सीए., और पैरामेडिकल कोर्स की जानकारी दी। डॉ. बोडेपूडि वेंकटेष्वर राव, डॉ. जी. नागेष्वर राव तथा श्री प्रसाद जी ने भी अपने विचार प्रकट किए। उद्घाटन समारोह की अध

आलूरि बैरागी - दक्षिण के सशक्त हस्ताक्षर

आलूरि बैरागी - दक्षिण के सशक्त हस्ताक्ष र चंद्र मौलेश्वर प्रसाद हिंदी साहित्य के इतिहास में दक्षिण साहित्यकारों का उल्लेख उतना नहीं हो पाया जितने की अपेक्षा है।  ऐसे में, आलूरि बैरागी चौधरी का नाम इस बात का साक्षी है कि उनकी लेखनी ने साहित्यकारों, इतिहासकारों और पाठकों का ध्यान आकर्षित किया है।  उनके जीवनकाल में केवल एक ही हिंदी कृति ‘पलायन’ नाम से प्रकाशित हुई थी।  इसी के माध्यम से हिंदी जगत में उन्होंने अपना स्थान बनाया।   बैरागी जी का जन्म आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले के तेनाली शहर के ऐतानगर कस्बे में सन्‌ १९२५ में वेंकटरायुडु और सरस्वती के घर में हुआ जो एक प्रतिष्ठित किसान परिवार था। बचपन से ही वे स्वभाव से सीधे, सरल और स्पष्टतावादी थे। उनका व्यक्तित्व मनसा, वाचा, कर्मणा एक ही था। उनके हृदय में मानव के प्रति  अटूट आस्था थी। बैरागी जी का बचपन तो शांतिपूर्व बीता पर बाद का जीवन संघर्षपूर्ण रहा। बीस वर्ष की आयु में वे प्रतिपाडु हाई स्कूल में अध्यापक बने। उन्होंने अपना लिखना-पढ़ना नहीं छोड़ा और अंग्रेज़ी, तेलुगु, हिंदी के साथ-साथ संस्कृत और उर्दू के भी ज्ञाता बने।  सन्‌ १९५० में उन्ह